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Kashmir को लेकर Xinhua समाचार एजेंसी में प्रकाशित लेख पर झाओ लिजियान ने की टिप्पणी
बीजिंग : चीन (Kashmir China Policy) ने कश्मीर मुद्दे को लेकर ब्रिटेन की औपनिवेशिक नीति को जिम्मेदार ठहराते हुए निशाना साधा है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने शुक्रवार को आधिकारिक मीडिया बयान को ट्वीट कर यह प्रतिक्रिया दी. इसमें ब्रिटेन के उपनिवेशवादियों को ‘बांटों और राज करो’ नीति के जरिये कश्मीर (India Pakistan Kashmir dispute) की राजनीति में ‘नफरत का जहर’ घोलने का जिम्मेदार ठहराया गया है. दिलचस्प बात ये है कि हांगकांग और मानवाधिकार सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर चीन और ब्रिटेन के बीच बढ़ रहे तनाव के बीच चीन की सरकारी संवाद एजेंसी शिन्हुआ ने ‘कश्मीर: ब्रिटिश साम्राज्य के ताज की मणि में दरार’ नाम से यह लेख प्रकाशित किया है.
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उन्होंने लेख के हिस्से को ट्वीट में उल्लेख करते हुए कहा, ‘एक समय कश्मीरी नीलम के लिए प्रसिद्ध रही इस भूमि पर औपनिवेशिक लाभ की वजह से असंख्य निशान हैं…. विदेश मंत्रालय ने चीन के कश्मीर पर आधिकारिक रुख के बारे में कहा था कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच इतिहास द्वारा छोड़ा गया मुद्दा है.चीनी अधिकारियों ने पहले कहा था कि इस मुद्दे का संयुक्त राष्ट्र के चार्टर, सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्ताव और द्विपक्षीय समझौतों के आधार पर शांतिपूर्ण और उचित तरीके से समाधान किया जाना चाहिए.
शिन्हुआ ने लेख में कहा, ‘इस त्रासदी के बीज ब्रिटिश सम्राज्य ने शरारती रणनीति के तहत भारत में स्वतंत्रता आंदोलन के उदय को रोकने और अपना शासन मजबूत करने के लिए बोए, जिसने लाखों जिंदगी बर्बाद कर दी हैं. ब्रिटेन ने न केवल भारत में बल्कि अफ्रीका, पश्चिम एशिया और एशिया के विस्तृत भूभाग में ‘बांटो और राज करो’ की यह नीति लागू की. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ ने लेख का हिस्सा ट्वीट किया, ‘जबतक कश्मीर में खूनखराबा जारी रहेगा, ब्रिटेन अपने खूनी औपनिवेशिक इतिहास से कभी अलग नहीं हो सकेगा.’
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