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भारत में टीकाकरण अभियान जारी है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: द लैंसेट (The Lancet) जर्नल ने एक नए अध्ययन में कहा है कि फाइजर कंपनी की वैक्सीन (Pfizer Covid-19 Vaccine) कोरोनावायरस के डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) के खिलाफ बहुत कम प्रभावी है. कोरोनावायरस के मूल रूप की तुलना में यह वेरिएंट ज्यादा खतरनाक है. अध्ययन में कहा गया है कि वैक्सीन की डोज में अगर कम अंतर होता है तो यह डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ ज्यादा प्रभावी होगा. अध्ययन में कहा गया है कि वेरिएंट के प्रति एंटीबॉडी प्रतिक्रिया उन लोगों में और भी कम है, जिन्हें सिर्फ एक खुराक मिली है और खुराक के बीच ज्यादा अंतर डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी को काफी कम कर सकता है.
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शोधकर्ताओं ने ध्यान दिया कि यह सुनिश्चित करना सबसे महत्वपूर्ण है कि अधिक से अधिक लोगों को अस्पताल से बाहर रखने के लिए टीके की सुरक्षा पर्याप्त बनी रहे.
UCLH इंफेक्शियस डिजीज कंसल्टेंट और सीनियर क्लिनिकल रिसर्च फेलो एमा वॉल वैक्सीन की डोज के कम अंतर को लेकर कहती हैं, ‘हमारे नतीजे बताते हैं कि ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका है कि जल्दी से दूसरी खुराक दी जाए और उन लोगों को बूस्टर मुहैया कराया जाए, जिनकी इम्युनिटी इन नए वेरिएंट के मुकाबले ज्यादा नहीं हो सकती है.’
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ब्रिटेन में फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में टीम ने पाया कि अकेले एंटीबॉडी के स्तर वैक्सीन की प्रभावशीलता की भविष्यवाणी नहीं करते हैं. इसके लिए संभावित जनसंख्या अध्ययन की भी जरूरत है. उन्होंने कहा कि कम निष्क्रिय एंटीबॉडी का स्तर अभी भी कोरोना से सुरक्षा से जुड़ा हो सकता है.
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