[ad_1]

नई दिल्ली: साइरस मिस्त्री ने टाटा संस से विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले पर निराशा जताई है, साथ ही यह भी कहा कि वो साफ अंतरात्मा के साथ सोते हैं. वर्ष 2016 में 100 अरब डॉलर से ज्यादा की पूंजी वाले टाटा समूह के चेयरमैन पद से साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) को हटा दिया गया था. उद्योगपति ने फैसले को लेकर अपना एक बयान जारी किया है. टाटा समूह में रतन टाटा लंबे समय तक चेयरमैन रहे हैं.
यह भी पढ़ें
साइरस मिस्त्री ने कहा, “टाटा संस के कार्यकारी अध्यक्ष पद पर मेरे कार्यकाल के दौरान मेरा यह कर्तव्य और विशेषाधिकार रहा कि मैं भारत को वैश्विक कारोबारी समुदाय के समक्ष महान अवसर और भरोसे वाले देश के तौर पर प्रस्तुत करें. जहां, एक प्रभावी कानून का शासन है, जो न्यायपूर्ण, समानता पर आधारित है.”
टाटा संस में मेरा पास अवसर था कि मैं विभिन्न परिवेशों के विभिन्न कारोबारी जगत और क्षेत्रों से आए लोगों के साथ उन साझा मूल्यों के आधार पर काम करूं, जो हमारे संस्थापकों ने बनाए थे. उस अवसर के लिए मैं हमेशा आभारी रहूंगा. पीढ़ीगत बदलावों से गुजर रहे टाटा संस में मेरा उद्देश्य था कि एक मजबूत बोर्ड सुनिश्चित करूं, जिसका उद्देश्य किसी एक व्यक्ति से इतर निर्णय लेने वाला एक निर्णयकारी सिस्टम तैयार करना था.
हमारा मुख्य उद्देश्य था कि सभी बोर्ड के निदेशकों को इतना समर्थ कर सकूं कि वे बिना भय या स्वार्थ के अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सकें. साथ ही शेयरधारकों का मत और रणनीति भी इसमें दिखाई दे. मेरा यह लगातार विश्वास रहा है कि ऐसे मॉडल से टाटा संस उसके समूह की सभी कंपनियों के सभी संबद्ध पक्षों के हितों की रक्षा की जा सकेगी. टाटा बोर्ड के विभिन्न समूहों के करीब 50 स्वतंत्र निदेशकों ने मेरे प्रदर्शन की समीक्षा की गई और उनकी राय तो सब कुछ कहती ही है, साथ ही मेरे द्वारा की गई पहल को भी सराहना मिलने के दस्तावेज हैं.
[ad_2]
Source link